मैं किशोर हूँ !

 

मैं पल-पल बदलता मौसम हूँ

कभी अमावस तो कभी रोशन हूँ !

कभी उगते हुए सूरज की तरह,

कभी चंचल तो कभी मूरत की तरह !

कभी प्रचण्ड, उद्यण्ड और निर्भयी हूँ,

कभी कायर, शायर फिर वही हूँ !

कभी दुनिया मझे मुट्ठी में करनी,

तो कभी तबियत की भी फिकर नहीं !

कभी अटल जी के अल्फाजों जैसा,

सहज, पर भारी साजों जैसा !

कभी मृत्यु के प्रत्यक्ष से चिंतित,

तो कभी जीवन के अंत से विचलित !

कभी पुजारी हूँ मैं प्यार का,

कभी एकांत ही लगे संसार सा !

कभी किनारा करूँ मैं सब से,

तो कभी हंसमुख, हरेक शख्स से !

कभी घोर अंधेरा छाता मन में,

तो कभी आग सी चमक हर अंग में !

ज्यों आंधी में दीपक की हालत,

कभी स्थिर तो कभी फड़फड़ाहट !

कभी मैं अकेला, उदास रोता भी हूँ,

क्या जरूरी किसी के लिए होता भी हूँ !

ये उतार चढ़ाव, ये व्यथा, ये पीड़ा,

कभी करती ग्रस्त तो कभी लगे क्रीड़ा !


मैं कभी हूँ सुकून की शाम जैसा,

तो कभी मंत्रमुग्ध सी भोर हूँ,

व्यथा, उम्मीदें, प्यार और कष्ट 

समेटे बैठा मैं किशोर हूँ !

मैं किशोर हूँ !!!!!!!!!!!!!!!!


- (नवीन श्योराण)

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