जिंदगी की चार सीख
Extreme knowledge in old people stories for life.
शहर के जाने-माने सेठ का इकलौता वारिस पुन्नी लाल अब सारा कारोबार समझने लगे थे और जिम्मेदार भी बन चुके थे। सेठ का आखिरी समय आ चुका था और जाने से पहले सेठ ने पुन्नी लाल को चार बातें बताई -
- घर से दुकान तक केवल छाया में आना और जाना।
- औरत को भेद मत बताना।
- घर में झाड़ी मत लगाना।
- पुलिस वाले से दोस्ती मत करना।
पुन्नी लाल ने सभी सेठों को बुलाकर बढ़िया भोज कराया।
रीत-रिवाज के साथ सेठ जी का अंतिम संस्कार किया गया।
अब पुन्नी लाल सेठ जी का सारा कारोबार संभालने लगा।
पुन्नी लाल को अपने पिता की चारों बातें याद थी। पुन्नी लाल ने सोचा " क्यों न पिता की बातों को आजमाया जाए ? "
पुन्नी लाल ने अपने घर से लेकर दुकान तक छत लगवादी।
घर में एक झाड़ी भी उगा दी । एक पुलिस वाले से यारी भी कर ली। अब केवल औरत को भेद बताने वाली बात बची थी।
कुछ महीनों बाद मौका देखकर पुन्नी लाल ने राजा जी के बेटे को अगवाह कर लिया और अपने घर में लाकर बंद कर दिया और उसे खेलने खाने की पर्याप्त चीजें दी , जिससे वो रोए ना और उसका मन लगा रहे। फिर जाकर कहीं से एक भेड़ का सिर काट लाया।
पुन्नी लाल की पत्नी कुएं से पानी लाने गई हुई थी। जैसे ही वो घर में दाखिल हुई, उसने देखा पुन्नी लाल चूल्हे में कुछ गाड़ रहा था। पुन्नी लाल की पत्नी ने पूछना चाहा पर पुन्नी लाल ने मना कर दिया। पुन्नी लाल की पत्नी ने बार-बार पूछा।
आखिरकार पुन्नी लाल ने कहा - " किसी को बताना मत, वरना मैं मारा जाऊंगा।
पत्नी - ठीक है, मैं किसी को नहीं बताऊंगी।
पुन्नीलाल - ये चूल्हे में मैं राजा के बेटे का सिर गाड़ रहा था। दरअसल मैंने राजा के बेटे को मार दिया ।
अब तुम ये बात यहीं भूल जाओ, और किसी को कुछ मत बताना।
पुन्नी लाल की पत्नी दोबारा पानी भरने गई तो उससे रहा न गया, उसने सारी बात अपनी पड़ोसन से कह दी और कहा - किसी को बताना मत। आगे भी यही हुआ और बात फैलती-फैलती राजा तक पहुँच गई। राजा जी ने तुरंत पुन्नी लाल को हाजिर करने का हुक्म दिया।
वही पुलिस वाला, जो पुन्नी लाल का दोस्त था पुन्नी लाल को लाने के लिए गया। पुन्नी लाल खाना खा रहा था।
पलिस वाले ने खाना खाते हुए पुन्नी लाल का हाथ पकड़कर उसेे खड़ा कर दिया और बोला - चल हरामजादे ! राजा के बेटे को मारेगा ?
और जैसे ही पुन्नी लाल चलने लगा, उसका गमछा उस झाड़ी में फंस गया। और पुलिस वाले ने उसे गमछा निकालने से पहले ही धक्का मारकर आंगन से बाहर कर दिया और राजा के पास ले गया।
वहाँ पहुँचकर पुन्नी लाल ने सारा मामला बताया और बताया कि आपका बेटा जिंदा है और सुरक्षित भी ।
मैंने तो ये सब इन चार बातों के लिए किया था । और अब मुझे ये बातें समझ में आ गई हैं।
तब राजा ने कहा - बाकी सब तो ठीक है, मगर पहली बात का अर्थ ये नहीं है कि घर से दुकान तक छत लगवादी जाए।
घर से दुकान तक छाया में जाने का अर्थ है कि सुबह सूरज निकलने से पहले दुकान जाओ और शाम ढ़लने के बाद घर आओ।
तो इस तरह से पुन्नी लाल को अपने पिताजी की सारी बातें समझ आ गई।
0 comments:
Post a Comment