वो पटरियों पर कट रहे थे । गरीबों के लिए समर्पित कविता ...

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Best poem against poverty and against corruption in Hindi.
A voice of poor people and poverty .

  वो पटरियों पर कट रहे थे
 "अच्छे दिन" अमीरों में बँट रहे थे ।

 न जाने कितनी ऊँची इमारतों की
 ईंटों को उसने जोड़ा है।
 हर शहर को बनाने के लिए
 उसने पसीना निचोडा़ है।

 वो तो सह लेंगे, वो तो रह लेंगे
 बिन खीर बिन पनीर।
 तुम जीत लो सारी दुनिया भले
 उनके जलते रहेंगे शरीर।

अरे इतना भी क्या पागलपन
आंखें जर गई हैं क्या।
उनके भी बच्चों को देखो
आत्मा मर गई है क्या।

नफरत में जलकर
तुम राख हो जाओगे।
तुम्हें मोहरा बनाया जा रहा है
एक दिन मजाक हो जाओगे।

एक नहीं दो-दो बार हमने
घूँट जहर का पीया है।
जाकर पूछना अपने फकीर राजा से
क्या गरीबों के लिए कुछ किया है ।

तुम लाख कोशिश करके भी
ना इस देश को मिटा पाओगे।
कब तक सच को झूठ बताकर
अमीरों को खिला पाओगे।

झूठे वादों की बौछार से
गिर रहा मेरा हौसला है ।
चिंगारी नहीं आग है दिल में
जो वतन हो रहा खोखला है ।

हमें नहीं चाहिए कि देश मेरे का
सारी दुनिया में नाम हो गया।
बस कोई भूखा न सोए मेरे देश में
मैं समझूंगा मेरा काम हो गया।

तुम अपनी-अपनी कौमों को
बाँटकर सारा जहान दे दो।
बस मुझे मेरा वही पुराना
प्यारा हिन्दुस्तान दे दो।

जब बन रही सरकार थी
चोर- उचक्के छंट रहे थे ।

वो पटरियों पर कट रहे थे
"अच्छे दिन" अमीरों में बंट रहे थे ।
 
                  -  By Naveen Choudhary
                      जय हिन्द । जय भारत

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