+3 Best father's day poetries in Hindi | पिता पर कविताएं

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आज मैंने ये कविताएं पिता दिवस (Father's day) के लिए लिखी हैं। इस बार Father's day 21st June को मनाया जा रहा है । इसीलिए इन कविताओं को पढ़कर आप भी अच्छा महसूस करिए। और हो सके तो अपने पिता के साथ वक्त बिताएं।

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                                      (1)
हर वक्त हर घड़ी कोई परछाई बनकर 
साथ था मेरे पिता बनकर ।

तपती रेत में बारिश बनकर
बेरूखी में ख्वाहिश बनकर

समंदर में जैसे धरातल बनकर
चिलचिलाती धूप में बादल बनकर

तेज हवाओं में घोंसला बनकर
निराश हुआ तो हौंसला बनकर

काँटों में जैसे फूल बनकर
हर गलती में भूल बनकर

सारे सवालों का जवाब बनकर
दुनिया देखे तो नकाब बनकर

मैं पंक्तियाँ तो कविता बनकर
मैं बेटा तो पिता बनकर

हर वक्त हर घड़ी कोई परछाई बनकर
साथ था मेरे पिता बनकर ।
                                                         -नवीन चौधरी
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                                  (2)
एहसानों के बोझ तले दबा जाता हूँ
डाँट को प्रसाद समझकर चबा जाता हूँ

पिता की नसीहत जैसी कोई चीज नहीं
पिता के हाथ से बढकर कोई ताबीज नहीं

पिता से बढकर कोई सच्चा साथी नहीं हो सकता
बेटा तेल, पिता दीप ,बाती नहीं हो सकता

माँ से ज्यादा ममता है छिपी दिल में
खुशियों में दिखती नहीं, दिखती है मुश्किल में

सबसे ज्यादा करीब जो इंसान है रहता
तुम्हारी नाव बहाने को,समंदर बन है बहता।
                                                         -नवीन चौधरी
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(3)

कोई कुछ भी नहीं कर सकता उसके सामने 
जितना उस भगवान के अवतार ने किया है।
अपने सपनों को अपने ही पैरों तले रख
मेरे ख्वाबों को सिर पर,मझधार में किया है ।

हर सुख-दुख में साथ मेरे मुझे बिना बताए
सिर पर हाथ हमेशा पर मुझे बिना जताए
उतनी ही फिक्र आज भी रहती मेरी
चाहें करूँ मैं दुनिया भर की खताएँ।

जो रास्ता दिखाया मुझे अच्छा नहीं लगा
फिर भी मैं चलने लगा धीरे-धीरे
एक बार नहीं हर बार हुआ यहीं
पहले काँटे आए फिर बाग आने लगे धीरे-धीरे।

जिसने बिना कुछ कहे सब कुछ सिखा दिया 
जिसने मेरे माथे पर कामयाब लिखा दिया 
कैसे शुक्रिया अदा करूँ मैं उस रब का
जिसने मुझे पिता दिया।
                                                         -नवीन चौधरी

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