चतुर सिंह और भोलाराम - crazy funny story in Hindi

A funny short story of a person which do mindless work with himself

भोलाराम अपने परम् मित्र चतुर सिंह के साथ चतुर सिंह के ससुराल चला गया। ये चतुर सिंह की ही जिद थी कि वो उसके साथ उसके ससुराल चल चले।


अब वहाँ पहुँचते ही उन दोनों की सेवा शुरू हो गई ।
गर्मी का मौसम था, कूलर की ठंडी-ठंडी हवा भोलाराम को जन्नत का अनुभव करा रही थी। ठंडी शरबत पिलाई गई। शाम को सोने से पहले पानी छिड़ककर आंगन को ठंडा किया गया । फिर भोलाराम और चतुर सिंह कूलर की ठंडी-ठंडी हवा में मजे से सो गए।

भोलाराम ने सोचा "भई वाह! खातिरदारी हो तो ऐसी, मजा आ गया" । भोलाराम अपने मित्र के ससुराल वालों की खातिर से बहुत प्रभावित हुआ ।

कुछ दिनों बाद बारी भोलाराम की आ गई । और भोलाराम ने भी चतुर सिंह को ससुराल जाने के लिए आमंत्रित किया। पर चतुर सिंह इतना भोला न था। चतुर सिंह ने कोई बहाना बनाकर आमंत्रण को टाल दिया।

सर्दी का मौसम था और भोलाराम ससुराल पहुँच चुका था। भोलाराम भी चतुर सिंह के ससुराल जैसी खातिर ही चाहता था।



पहुँचते ही भोलाराम ने तो एकदम ठंडा पानी मंगवाया।
और आंखें बंद करके पी गया। ससुराल वाले भी क्या करते? जमाई का हर हुक्म मानना उनकी मजबूरी थी।
कोई सवाल भी न कर सकते थे।
इसलिए भोलाराम की हर फरमाईश को पूरा करने की भरपूर कोशिश की जा रही थी। 
फिर अपने साले से बोला - "बहुत गर्मी है, जरा पंखा चला दो यार"। साले ने चुपचाप पंखा चला दिया।
भोलाराम अपने मित्र चतुर सिंह के जैसे ही सेवा चाहता था, पर ये भूल गया कि तब गर्मी का मौसम था और अब सर्दी का मौसम था। 
तभी तो उसे सब भोलाराम कहते थे।

शाम हुई, भोलाराम ने खाना खाया। पलंग पर चला गया।
अब साले ने रजाई लाकर दी तो भोलाराम ने साफ मना कर दिया, और रजाई वापिस भिजवा दी। बल्कि वहाँ आस-पास पानी छिड़कने के लिए आदेश और दे दिए।

ससुराल वालों को भोलाराम की चिंता हो रही थी, पर 
कुछ कह भी नहीं सकते थे कि कहीं भोलाराम जी नाराज न हो जाएं ।

अब जैसे-जैसे रात गहरी होने लगी, ठंड कहर बरपाने लगी। भोलाराम जी फिर भी दाँत पीसते हुए सिकुड़ कर सोते रहे ।
कुछ देर बाद तो जैसे भोलाराम जमने सा लगा, आखिरकार गुरूर टूट गया और काँपता हुआ रजाई मंगवाने के लिए बोला - अरे! ले आओ भई, ले आओ ।

भोलाराम के ससुर ने सोचा कि दामाद जी को इतनी गर्मी लग रही थी तो शायद ठंडा पानी और मांग रहे हैं । उन्होंने
अपने बेटे से ठंडे पानी का जग भरकर भोलाराम जी को देकर आने के लिए कहा। वो जग ले जाकर भोलाराम जी के पास आकर बोला - लीजिए भोलाराम जी ! 

भोलाराम ने सोचा रजाई ही लाया है, बिना कुछ सोचे समझे बोला - अरे, ऊपर ही डालदे।

और फिर क्या था, साले ने ठंडे पानी का जग भोलाराम जी के ऊपर डाल दिया ।

भोलाराम जी पागलों की तरह वहाँ से भाग आए।

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