जाट और बनिया - Funny Hindi story

A beautiful funny conversation between two people about lunch.

      जाट और बनिया

तो भाईसाहब, शहर के सबसे अमीर बनिये के यहाँ दावत थी। सारे शहरवासियों को न्योंता भिजवाया गया। जोरदार
तैयारियाँ की गई। हल्वा, पूरी और खीर बढ़िया हलवाई से भरपूर मात्रा में बनवाया गया।


शहर के रईस लोग पहुँच गए। पर बनिये का सबसे घनिष्ठ मित्र पलसूराम जाट गाँव में रहता था। बनिये को उससे मिले कई बरस हो चुके थे। ये अच्छा अवसर था और बनिये ने जाट को भी न्योंता भिजवा दिया।

जाट भी बनिये से मिलने के लिए उत्सुक था। आखिरकार पार्टी का दिन आ गया। जाट भी बनिये के घर जा पहुँचा।

दोनों खूब खुशी जताते हुए गले मिले, हालचाल पूछे गए, थोड़ी बातें हुई। फिर एक नौकर ने आकर खाने के लिए पूछा तो बनिया बोला - भई, आज मैं मेरे दोस्त को खुद खाना परोसूंगा।
यह कहकर बनिये ने जाट को खाने के लिए आसन पर बिठाया और खुद खाना परोसने लगा और जाट ने खाना शुरू कर दिया।
देखते ही देखते जाट ने सारा खाना खाकर और माँगा तो बनिये को अचरज सा हुआ क्योंकि पहले ही बनिये ने उसे खूब खाना परोसा था। फिर भी बनिये ने और खाना मंगवाकर उसे परोसा, पर जाट सब चट कर गया तो बनिये ने और खाना मंगवाया।

अब तो हद हो चुकी थी, जाट करीब बीस आदमियों का खाना खा चुका था। अब बनिये ने एक तरकीब निकाली और बोला - यार इंसान का पेट होता है अठारह इंच का। जिसमें से छह इंच साँस लेने का, छह इंच पानी के लिए और छह इंच खाने के लिए होता है ।

जाट - भाई, साँस तो क्षीरों (छेदों) में से आ जाएगा, मैं तो पूरा अठारह इंच खाने से भरूंगा।
और जाट फिर शुरू हो गया ।

थोड़ी देर बाद बनिये ने एक और तरकीब निकाली और बोला -"भाई खाना खाते वक्त बीच में पानी पी लेना चाहिए" ।
बनिये ने सोचा, ऐसे करने से जाट की भूख थोड़ी कम हो जाएगी।
तो इस पर जाट बोला - "अरे यार, पानी तो मैं बीच में हमेशा ही पीता हूँ, पर अभी बीच तो आने दे" ।

बनिये की आँखें फटी की फटी रह गई और जाट फिर लग गया ।







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