Amazing funny Story in Hindi
( ताऊ की लड़ाई )
तो बात ऐसी है कि एक गाँव में थे दो भाई - चंदू और बंदू।
और उनके काम भी उनके नामों के जैसे ही थे। गाँव में दोनों के पास ज्यादा खेती नहीं थी, तो दोनों ने तय किया कि उनमें से एक गाँव में ही खेती करेगा और दूसरा कहीं बाहर जाकर काम करेगा।
बंदू भैया बाहर जाने के लिए राजी हो गए । काम ढूंढ़ने के लिए अगले दिन गाँव से निकले और घूमते-घूमते एक गाँव में जा पहुँचे।
एक अधेड़ उम्र का व्यक्ति अपने घर के दरवाजे में बैठा हुक्का गुड़गुड़ा रहा था। बंदू भैया जा पहुँचे और हुक्का पीकर बोले - ताऊ, यहाँ कोई काम मिल सकता है क्या ?
ताऊ - काम तो मिल जाए, पर कैसा काम चाहिए? ये तो बताओ।
बंदू - ताऊ कोई भी काम चलेगा। तनख्वाह ठीक होनी चाहिए ।
ताऊ - तो भाई ! ऐसा है, कि तू मेरे यहीं पर रह जा। घर के रोजमर्रा के काम कर देना । भैंस का ध्यान रख लेना।
खाना और रहना सब यहीं कर देंगे तेरा। मैं और तेरी ताई दो ही जने रहते है ं यहाँ ।
बंदू भैया ने हाँ कर दी। फिर ताऊ बोले - भाई बाकी सब तो ठीक है पर मैं तुझे तनख्वाह तभी दूंगा जब तू मुझे और तेरी ताई को लड़वा देगा।
बंदू भैया ने सोचा कभी न कभी तो ताऊ और ताई लड़ ही लेंगे। बंदू ने शर्त मंजूर कर ली।
अब बंदू को रहते महीना हो गया पर ताऊ ताई से लड़ना तो दूर, ऊँची आवाज में बात भी न करते थे। घर का काम सारा बंदू कर ही देता था, ताऊ को क्या जरूरत थी लड़ने झगड़ने की ?
दो महीने बाद भी यही हाल रहा। अब बंदू थककर ताऊ को आकर बोला - ताऊ, मैं अब और नौकरी नहीं करूँगा।
मेरा जो बनता है, मुझे दे दो।
ताऊ - नहीं भैया, बात हुई थी हमें लड़वाने की, वो तुम कर नहीं पाए ।
बंदू भैया मुंह लटकाकर चल दिए। गाँव आकर चंदू को सारी बात बताई। तो चंदू भैया बोले - ऐसा कर, तू कर एक महीने खेती और मैं जाता हूं बाहर। बंदू भैया मान गए ।
अब वैसे ही चंदू भैया ने भी शर्त के मुताबिक ताऊ के यहाँ काम करना शुरू कर दिया। ताऊ को बता भी दिया कि वो बंदू का ही भाई है ।
कई दिन चंदू ने हिसाब-किताब देखा। फिर एक दिन मौका देखकर ताई के पास जाकर बोला - ताई, क्या बात है आपके बेटे-बेटियाँ कोई आता ही नहीं है, कहाँ रहते हैं?
ताई - बेटा, क्या बताऊं भगवान को मंजूर ही नहीं था। मुझ अभागन की कोख सूनी ही रख दी उस ऊपरवाले ने।
चंदू - बस इतनी सी बात ताई ! इसका तो मेरे पास पुख्ता इलाज है । ऐसा टोना जानता हूँ कि संसार में कोई नहीं जानता।
बस, आप मुझे ताऊ की मूछों के दो बाल ला दीजिएगा।
और किसी को पता भी न चले।
ताई तो खुशी-खुशी मान गई। नाई के पास जाकर उस्तरा ले आई।
उधर चंदू पहुँच गया ताऊ के पास । बोला - देख ताऊ, आज तुझे ताई न छोड़ेगी। तेरी गर्दन काटने की योजना बना रखी है ।
ताऊ - तेरी बात गलत नहीं निकलनी चाहिए ।
चंदू - ताऊ, गलत निकली तो तेरी जूती मेरा सिर।
ताई के भाई भी उसी गाँव में बसते थे। उनके पास जाकर चंदू भैया बोले - भाई देखो, मैंने सोचा आपको बता ही दूं। दरअसल बात ऐसी है कि ताऊ आज ताई को छोड़ेगा नहीं, जान से भी मार सकता है ।
सारे भाई उछलकर पड़े, बोले हमारे होते हमारी बहन को हाथ तो लगा दे कोई ।
चंदू भैया यहीं नहीं थमने वाले थे।
ताऊ के भाईयों को भी बोल आए कि ताई के कड़ुमे वाले आज ताऊ को मारेंगे। तो वो भी लट्ठ ले लेकर तैयार हो गए ।
रात हुई, ताऊ खाट पर दरी के नीचे बड़ा लट्ठ लिए सोने का नाटक कर रहा था। उधर ताई के भाई भी छिपे बैठे थे। और दूसरी तरफ ताऊ के परिवार वाले भी।
ताई अपना काम करने के लिए उस्तरा लेकर ताऊ की तरफ बढ़ी। ताऊ पलकों में से देख रहा था, ताऊ को चंदू की बात पर यकीन हो गया ।
जैसे ही ताई पास आई, ताऊ ने लट्ठ निकालकर पाँच-सात फटकारे। ताई रोई, तो ताई के भाई भी कूद पड़े और ताऊ को धोने लगे । इतने में ताऊ के परिवार वाले भी कूदे और धमाधम मच गई।
सुबह हुई, चंदू आँखें मसलता हुआ वहाँ आया। कोई माथा पकड़े बैठा था, किसी का हाथ टूटा, किसी का पैर।
चंदू आकर बोला - ताऊ और करवाऊं लड़ाई या काफी
है ?
ताऊ - अरे मार दिया रे बाप ! ये तेरा काम था ?
चंदू - आपने ही कहा था, मुझे और तेरी ताई को लड़वा दे तभी तनख्वाह दूंगा। मैंने पूरे खानदान को ही लड़वा दिया।
अब मुझे मेरी ही नहीं, मेरे भाई बंदू की तनख्वाह भी दो।
चंदू भैया दोनों भाईयों की तनख्वाह लेकर अपने गाँव पहुँचे और दोबारा बंदू को बाहर काम न करने की सलाह दी।